नववर्ष की दिली शुभकामनाएँ
"स्पेन"
टमाटर की स्पेन में खेलते हैं होली
जन-जन खुशहाली की बोलते बोली।
लाखों टन होता टमाटर बरबाद
अट्ठाईस अगस्त को मनाते त्यौहार।।
"रावण"
धरा-गगन व राहू-केतु, शनि जिसके रहा अधीन।
इन्द्र जाल व तंत्र-मन्त्र सम्मोहन था पराधीन।।
अस्त्र-शस्त्र औ' विमान माया थे उसके अधीन।
फिर भी शाप से शापित वह जबकि रहा कुलीन।।
"पी रहा"
विश्व को मैं समेटे जी रहा,
चीथड़े ग़रीबी के सी रहा।
तन-वदन है कर रहा मनमानियां
ख़ुशनुमा मौसम है थोड़ा पी रहा।।
"प्रकृति "
जीने की कला प्रकृति हमें सिखाती।
जीवन के आंगन में है बिठाती।।
भू पर नीचे जल बरसाती।
चार युगों का सफर कराती।।
ऋषियों के संसार बसाती।
धरा मयंक गगन में सजाती।।
जीवन काल का मरम -सत्य
सुबह-सुबह हमें बताती।
गौरव गाथा हमें पढ़ाने,
भोर में ही हमें जगाती।
चलने वाले
चलने वाले चल देते हैं
चलकर भी कुछ दे देते हैं।
जीवन का वह राज-साज
जिसे करते हैं लोग याद |
-सुखमंगल सिंह
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआदरणीय सुशील कुमार जोशी जी हार्दिक आभार
हटाएंवाह!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक क्षणिकाएं...
Sudha Devrani ji शुक्रिया आपने मेरे मनोबल को उचाई देने का कार्य किया | धन्यवाद
हटाएंवाह
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
Jyoti Khare ji हार्दिक सुक्रिया ! रचनाकारों की रचना को निष्पक्ष जब पसंद किया जाता है तो उसका मनोबल बढ़ता है | धन्यवाद सर
हटाएंhttp://bulletinofblog.blogspot.in/2018/01/blog-post_21.html
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी हार्दिक अभिनन्दन ,आभार
हटाएंVibha rani shrivastava ji हार्दिक अभिनंदन
जवाब देंहटाएं"मैं तुझे जानता हूॅ"(वंदना)
जवाब देंहटाएंक्या बताएॅ हे प्रभो,
क्यों तू मुझे मानते हो।
आदि पूर्वज हो मेरे,
मैं तुझे जानता हूॅ।।
बढ मई संतति तेरी,
मत अलग होते गये।
राह रही सबकी एक,
प्यास भी बढती गई।।
खास में है राज तेरे,
उसे मैं मानता हूॅ।
क्या बताएॅ हे प्रभो,
क्यों तू मुझे मानते हो।।
सत्य का सम्बल तेरा,
मैं भक्षण करते हो!
पर सभी के कंठ में,
स्वास सदृश्य रहते।।
वाणियों मैं स्वर तुम्ही,
प्राणियों में वायु हो।
हो देवो में देव तुम,
अवलम्ब आधार हो।।
क्या बताएॅ हे प्रभो,
क्यों तू मुझे मानते हो।
सृष्टि अवलम्ब तू हो,
मैं तुझे जानता ।।
कण-कण में व्याप्त रूप,
माया हो!पहचानता हूॅ।
लीला तेरी निराली,
व्यास व्याख्या कर डाले।।
सहारा तेरा सबको,
मंगल 'मंगल'डाली डाली।
क्या बताएं हे प्रभो,
मैं जानता-मानता हूॅ।।
-सुखमंगल सिंह'मंगल'जुलाई12,2018 सबेरे 04 बजे
thanks gym motivaional quotes
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
हटाएंहार्दिक शुक्रिया जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद जी
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुक्रिया
जवाब देंहटाएंसुखमंगल सिंह की डायरी से -
जवाब देंहटाएंसुख मंगल सिंह की रचना और आलेख सावन में!
1- ताला कहां लटकता
2- मैहर वाली माईं
३- हलाला देती बरबादी
४- भौरे गाये
5- रिश्तों का सम्मान
6- अभिमान गीत
7- सहपाठी मिले
8- कवि हूं मैं सरयू तट का
9- पढ़ो पढ़ाओ सबको सुनाओ
10- जिसे भी देखा दौड़ता मिला
11- कवि का सरयू तट से गुजरना ( समीक्षा)
आलेख -
1- काशी से कश्मीर तक सदभावना यात्रा
2- कोरोनावायरस 2000
3- कोराना वायरस 2019 - 2
4 - ओडिशा यात्रा
5- अपहरण
- सुख मंगल सिंह,अवध निवासी
सुख मंगल सिंह के मार्च से अगस्त 2021 तक की कामेश्वर 51 डिजिटल प्राइवेट लिमिटेड पर प्रकाशित रचनाएं-
हटाएं1 चलाएं रात भर जग आती 17 march
2 होली गांव गांव घुमा 18 मार्च
3 होली आई गाया जाए। 22 मार्च
4 किसान - व्याज 23 मार्च
5 पायल। 25 मार्च
6 सूरत दिल में जगह बनाई 26 मार्च
7 सूर्यकांत त्रिपाठी निराला,26 मार्च/17 अगस्त
8 हिंदी राष्ट्रभाषा के पथ पर अग्रसर 28 मार्च
9 भाऊजी खड़ा हो जा पर धानी 29 मार्च
10 भाव पुराना नहीं होता 31 मार्च
11 योग साधना के लिए मानव शरीर 31 मार्च
12 अप्रैल फूल दिवस। 1अप्रैल
13 पुकार । 2 April
14 कोरो ना जाई 2 अप्रैल
15 शक्ति विहीन पंख। 3 अप्रैल
16 इतिहास को जीना होगा। 4 अप्रैल
17 कागज पर आकर आओ अंकित करें 5 "
18 ऐसे दोस्त ! 5 April
19 कोठी ज्वार भटका पनिहार। 6 ""
20 साहित्यकार समाज में अवदान ""
21 एक दिन फोन आया। 9 अप्रैल
22 गांव 10 ""
23 हंसिया ""
24 मां सरयू बहुत महान। 17 ""
25 चपाला अपने आंगन । 13 मई
26 मानव जन्म हुआ मेरा। 16""
27 खाने में शामिल न करें 18""
28 शनि की साढ़ेसाती 24""
29 कृष्ण द्वारा वसुदेव को ब्रह्म ज्ञान 24""
30 ऐसा सोचा ना था 25""
31 त्रीभाग भाग पर भरोसा करुं । 3 जून "
32 पृथु का प्रादुर्भाव । 4""
33 दिग दिगंत सौरभ से भरता 4""
34 सोशल मीडिया - भारत। 5""
35 जगत जननी का परित्याग । 11""
36 महाराज पृथु अभिषेक 17""
37 पृथु का पृथ्वी पर क्रोध । 19""
38 आता है अकेला चार कंधा से जाता 20 जून
39 राजा पृथु के यज्ञशाला में प्रभु प्राक़त्य ""
40 राजा पृथु को मुनीश्वर का उपदेश 26 ""
41 जय बोलो अयोध्या धाम की 5 जून
42 अयोध्या में गंधर्व गान । 10 जूलाई
43 विश्व विख्यात प्राचीन पुरी अयोध्या 13""
44 शरीर से परम तत्व की प्राप्ति। 14 जुलाई
45 काशी में प्रधानमंत्री मोदी। 15 ""
46 धर्म की उन्नत कैसे होगी। 16""
47 रचनाकार सौंदर्य स्वर्ग गढ़ता 20""
48 जीवंत भाषा में ग्राही शक्ति 22""
49 धर्म धरा से कृषि कारण पूछा। 24""
50 गुरु की महत्ता और गुरु पूर्णिमा 25""
51 राष्ट्रभक्त बनाना होगा। 27""
52 मार्कंडेय आश्रम और त प । 5अगस्त
53 हस्तिनापुर नरेश परीक्षित । 5 अगस्त
54 भारत में भुतहा जगह कहां-कहां 6""
55 प्रातः उठ हरिहर को भज। 10""
56 वर्षा ऋतु कृष्ण कोडार में। ----
57 नाग पंचमी । 13 अगस्त
58 अफगानी दुर्दशा । 16 अगस्त
59 अफगान में तालिबान । 19""
60 खड़ा हो गया है अफ़ागानी,23""
61 कल्याण सिंह, 24 अगस्त
62 शिक्षक दिवस । 5 सितंबर 2021
63 प्रगीत और संगीत तत्व 26 अगस्त
64 मानवता शर्मसार हुई? 7 सितंबर
65राम: द्वारा दुष्टों का संहार 8 सितंबर
66 वंदे मातरम 10 सितंबर
67 बढ़ती जनसंख्या 11 सितंबर
68 दुनिया हिंदी को राष्ट्रभाषा जानती 14 सितंबर
69 साहित्य और हथियार 18 सितंबर
70 पुरखे जागे तुम जागो 20 सितंबर 71शारीरिक क्रियाएं नवजीवन। 21 सितंबर
- सुख मंगल सिंह अवध निवासी