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शनिवार, 30 दिसंबर 2017

इंसान को इंसान बनाया जाए....गोपालदास "नीरज"

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए।
जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए। 

जिसकी ख़ुशबू से महक जाय पड़ोसी का भी घर
फूल इस क़िस्म का हर सिम्त खिलाया जाए। 

आग बहती है यहाँ गंगा में झेलम में भी
कोई बतलाए कहाँ जाके नहाया जाए। 

प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए
हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए। 

मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा
मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए। 

जिस्म दो होके भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आँसू तेरी पलकों से उठाया जाए। 

गीत उन्मन है, ग़ज़ल चुप है, रूबाई है दुखी
ऐसे माहौल में ‘नीरज’ को बुलाया जाए।
-गोपालदास "नीरज"

10 टिप्‍पणियां:

  1. कविवर नीरज की कालजयी कृति।

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  2. इसमे कैसे जुड़े हमारी मदद करे में खुद भी लिखता हु

    जवाब देंहटाएं
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  4. एक बेहतरीन पोस्ट लिखने के लिए धन्यवाद Swipe Lock Disabled Problem Fix

    जवाब देंहटाएं
  5. प्यार का ख़ून हुआ क्यों ये समझने के लिए
    हर अँधेरे को उजाले में बुलाया जाए।

    मानवीय भावना से ओतप्रोत अप्रतिम सृजन नीरज जी का।

    जवाब देंहटाएं
  6. मेरे दुख-दर्द का तुझ पर हो असर कुछ ऐसा
    मैं रहूँ भूखा तो तुझसे भी न खाया जाए।
    वाह!!!
    लाजवाब सृजन कविवर नीरज जी की कालजयी रचना।

    जवाब देंहटाएं