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सोमवार, 10 जनवरी 2022
shayarikhanidilse : जाहिल
सोमवार, 15 नवंबर 2021
दर्द का दिल में ठिकाना हो गया ..खरूदी राम जरयाल

: प्रकाशित साहित्य :
कसक हिन्दी काव्य संग्रह , मधुमास ग़ज़ल संग्रह , दस साझा संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित ।
पता : गांव व डाकघर बोह, उपतहसील दरीणी , तहसील शाहपुर ,
जिला कांगड़ा , हिमाचल प्रदेश । पिन कोड -176206
शनिवार, 26 सितंबर 2020
विधवा....श्वेता सिन्हा

नियति के क्रूर हाथों ने
ला पटका खुशियों से दूर,
बहे नयन से अश्रु अविरल
पलकें भींगने को मजबूर।
भरी कलाई,सिंदूर की रेखा
है चौखट पर बिखरी टूट के
काहे साजन मौन हो गये
चले गये किस लोक रूठ के
किससे बोलूँ हाल हृदय के
आँख मूँद ली चैन लूट के
छलकी है सपनीली अँखियाँ
रोये घर का कोना-कोना
हाथ पकड़कर लाये थे तुम
साथ छूटा हरपल का रोना
जनम बंध रह गया अधूरा
रब ही जाने रब का टोना
जीवन के कंटक राहों में
तुम बिन कैसे चल पाऊँगी?
तम भरे मन के झंझावात में
दीपक मैं कहाँ जलाऊँगी?
सुनो, न तुम वापस आ जाओ
तुम बिन न जी पाऊँगी
रक्तिम हुई क्षितिज सिंदूरी
आज साँझ ने माँग सजाई
तन-मन श्वेत वसन में लिपटे
रंग देख कर आए रूलाई
रून-झुन,लक-दक फिरती 'वो',
ब्याहता अब 'विधवा' कहलाई
शुक्रवार, 25 सितंबर 2020
उड़ान ...श्वेता सिन्हा
चलो बाँध स्वप्नों की गठरी
रात का हम अवसान करें
नन्हें पंख पसार के नभ में
फिर से एक नई उड़ान भरें
बूँद-बूँद को जोड़े बादल
धरा की प्यास बुझाता है
बंजर आस हरी हो जाये
सूखे बिचड़ों में जान भरें
काट के बंधन पिंजरों के
पलट कटोरे स्वर्ण भरे
उन्मुक्त गगन में छा जाये
कलरव कानन में गान भरें
चोंच में मोती भरे सजाये
अंबर के विस्तृत आँगन में
ध्रुवतारा हम भी बन जाये
मनु जीवन में सम्मान भरें
जीवन की निष्ठुरता से लड़
ऋतुओं की मनमानी से टूटे
चलो बटोरकर तिनकों को
फिर से एक नई उड़ान भरें
-श्वेता सिन्हा
रविवार, 31 मार्च 2019
भारत के जावाज़ जवानों के नाम ....सुखमंगल सिंह
सीमा पर तैनात जवानों
कर दो बंद दुश्मन की बोली
मिटा दो कुल आतंकी टोली
पाक से खेलो जमके होली
सौ पर भारी एक जवान हो
तलुए तले अब पाकिस्तान हो
तिरंगा इस्लामाबाद में लहरे
वहां तलक अब हिंदुस्तान हो
खाली न जाए एक भी गोली
पाक से खेलो जमके होली
धरती मां की शान तुम्हीं से
साधु संतों का ध्यान तुम्हीं से
भारत का मान - सम्मान तुम्हीं से
जनगण मण का गान तुम्हीं से
युद्ध नहीं अब हंसी ठिठोली
खेलो पाक से जमके होली।।
-सुखमंगल सिंह,वाराणसी