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शनिवार, 26 सितंबर 2020

विधवा....श्वेता सिन्हा

नियति के क्रूर हाथों ने

ला पटका खुशियों से दूर,

बहे नयन से अश्रु अविरल

पलकें भींगने को मजबूर।


भरी कलाई,सिंदूर की रेखा

है चौखट पर बिखरी टूट के

काहे साजन मौन हो गये

चले गये किस लोक रूठ के

किससे बोलूँ हाल हृदय के

आँख मूँद ली चैन लूट के


छलकी है सपनीली अँखियाँ

रोये घर का कोना-कोना

हाथ पकड़कर लाये थे तुम

साथ छूटा हरपल का रोना

जनम बंध रह गया अधूरा

रब ही जाने रब का टोना


जीवन के कंटक राहों में

तुम बिन कैसे चल पाऊँगी?

तम भरे मन के झंझावात में

दीपक मैं कहाँ जलाऊँगी?

सुनो, न तुम वापस आ जाओ

तुम बिन न जी पाऊँगी


रक्तिम हुई क्षितिज सिंदूरी

आज साँझ ने माँग सजाई

तन-मन श्वेत वसन में लिपटे 

रंग देख कर आए रूलाई

रून-झुन,लक-दक फिरती 'वो',

ब्याहता अब 'विधवा' कहलाई

-श्वेता


16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 27 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. बहुत ही मार्मिक शब्द चित्र किसी अभागी लड़की का | जीवनसाथी विहीन जीवन की कल्पना मात्र से आम औरत डर जाती है | पर यदि यही सब आँखों के सामने साक्षात् घटित हो जाए तो उससे भयावह लम्हा शायद किसी नारी के लिए हो नहीं सकता ! नारी मन की वेदना का जो चित्र तुमने शब्दों में साकार किया है वह सराहना से परे है प्रिय श्वेता | यही है कविमन की सार्थकता जो किसी की अनकही वेदना को कह पाने में पूर्ण सक्षम होता है | निशब्द कर देने वाली रचना |

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  3. छलकी है सपनीली अँखियाँ

    रोये घर का कोना-कोना

    हाथ पकड़कर लाये थे तुम

    साथ छूटा हरपल का रोना

    जनम बंध रह गया अधूरा

    रब ही जाने रब का टोना

    बहुत ही मर्मस्पर्शी सृजन ब्याहता का विधवा होना...विधवा शब्द ही अपने आप में एक अभिशाप है विधवा के अभिशप्त जीवन का बहुत ही मार्मिक शब्दचित्रण।

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  4. दुःख के सागर में गोते सम अनुभूति ..... आह !

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  5. Sarkariexam Says thank You Very Much For Best Content I Really Like Your Hard Work. Thanks
    amcallinone Says thank You Very Much For Best Content I Really Like Your Hard Work. Thanks
    9curry Says thank You Very Much For Best Content I Really Like Your Hard Work. Thanks

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  6. ओह , बहुत मार्मिक । क्या ऐसा दृश्य होना ज़रूरी है ?

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  7. मार्मिक रचना !
    अति सुंदर सृजन ।

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  8. रून-झुन,लक-दक फिरती 'वो',

    ब्याहता अब 'विधवा' कहलाई

    शानदार सृजन

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