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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

नन्ही रचनायें ....सुखमंगल सिंह


विकास - राष्ट्रवाद की राष्ट्र में

बातें जब कभी  होतीं !

सूख रहे पेड़ों  की टहनियां -पत्ते

वे भी हिलते !

*

पूर्वांचल में विकास आया

कछुओं ने गुनगुनाया

सभाओं से  फरमाया करते

अपना बंटाधार सुनाया ?

*

हो रहे हिन्दुओं पर आक्रमण

घूम रहे फिरकापरस्त

हिन्दुओं - छिना आत्म रक्षात्मक

सत्तर साल का इतिहास

*

प्रदेश में  लुटेरे-घपलेबाज

पकडे जब जाते

  बकवासी -बड़बोले बांक देकर

बहुत बड़बड़ाते

*

राष्ट्र में कालाबाजारी वाले जब

धरे -पकडे जाते !

कोने -कोने  से हवाओं में

दुर्गन्ध आतीं !

*

शिक्षा -पुलिस -सेना आदि में

जब फेल आ जाते

तब बीटेक -एमटेक वाले भी

घबरा जाते !

-सुखमंगल सिंह

12 टिप्‍पणियां:

  1. आज के हालातों की उम्दा चिंतनशील प्रस्तुति

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  2. स्वागत आभार आदरणीया जी

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  3. बिलकुल सही लिखा है आपने, हर लाइन में जो कटाक्ष है न, वो बिल्कुल आज के माहौल से उठाया गया लगता है। क्योंकि सच्चाई यही है कि पढ़ाई से भी अब भरोसा डगमगाने लगा है। और जो हवाओं में “दुर्गंध” वाली बात कही है, वो बहुत गहरी लगी – हर ओर यही महसूस होता है। आपकी ये रचना सिर्फ कविता नहीं, जैसे किसी आग लगे समाज की रिपोर्ट है – सीधी, और सच्ची।

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