सोमवार, 10 जनवरी 2022

shayarikhanidilse : जाहिल

shayarikhanidilse : जाहिल:   जाहिल था, दिए उनके जहर को अमृत समझ कर पी गया, जर्रा-जर्रा करके बिखरा हूँ पतझड़ की तरहा , मासूमियत उनकी - बोले, जालिम क्या खूब जिंदगी जी गय...

1 टिप्पणी: