जब कठिन रिश्ता निभाना हो गया
दर्द का दिल में ठिकाना हो गया
प्रीत की चादर पे शर्तें जब तनीं
लुप्त सारा ताना-बाना हो गया
वो चले जाने से पहले कह गए
खत्म अब रिश्ता पुराना हो गया
उन सुहाने मौसमों के वक्त को
दिल से गुज़रे इक ज़माना हो गया
हम हकीकत में न जा पाए मगर
उनके दर सपनों में जाना हो गया
क्यों मेरी खुशियां जहां को चुभ गईं
हर नज़र का मैं निशाना हो गया
हर कदम सीखा बहुत कुछ ज़िन्दगी
बस तेरा मिलना बहाना हो गया
-खरूदी राम जरयाल
पिता का नाम: श्री खरूदी राम जरयाल
जन्मतिथि : 28-04-1969
शिक्षा : स्नातक , प्रभाकर
: प्रकाशित साहित्य :
कसक हिन्दी काव्य संग्रह , मधुमास ग़ज़ल संग्रह , दस साझा संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित ।
पता : गांव व डाकघर बोह, उपतहसील दरीणी , तहसील शाहपुर ,
जिला कांगड़ा , हिमाचल प्रदेश । पिन कोड -176206